अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे अपनी खुशियों के साथ जुड़ने का मौका दिया है। मैं तस्वीरों में देख रहा था सेंचुरी गेट्स, सोशल साइंस डिपार्टमेंट्स, मास कम्युनिकेशन, तमाम विभागों की बिल्डिंग्स को खूबसूरती से सजाया गया है। ये सिर्फ बिल्डिंग नहीं है, इनके साथ शिक्षा का जो इतिहास जुड़ा है वो भारत की अमूल्य धरोहर है।
आज एएमयू से तालीम लेकर निकले सारे लोग भारत के सर्वश्रेष्ठ स्थानों पर और संस्थानों में ही नहीं बल्कि दुनिया के सैंकड़ों देशों में छाए हुए हैं। मुझे विदेश यात्रा के दौरान अक्सर यहां के एल्यमिनिज मिलते हैं जो बहुत गर्व से बताते हैं कि मैं एएमयू से पढ़ा हूं। AMU के Alumni कैंपस से अपने साथ हंसी-मजाक और शेरो-शायरी का एक अलग अंदाज लेकर आते हैं। वो दुनिया में कहीं भी हों, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
Proud Aligs, यही कहते हैं ना आप, पार्टनर्स आपके इस गर्व की वजह भी है। अपने सौ वर्ष के इतिहास में AMU ने लाखों जीवन को तराशा है, संवारा है, एक आधुनिक और वैज्ञानिक सोच दी है। समाज के लिए, देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाई है। मैं सभी के नाम लूंगा तो समय शायद बहुत कम पड़ जाएगा। AMU की ये पहचान, इस सम्मान का आधार, उसके वो मूल्य रहे हैं जिन पर सर सैयद अहमद खान द्वारा इस संस्थान की स्थापना की गई है। ऐसे प्रत्येक छात्र-छात्रा और इन सौ वर्षों में AMU के माध्यम से देश की सेवा करने वाले प्रत्येक टीचर, प्रोफेसर का भी मैं अभिनंदन करता हूं।
अभी कोरोना के इस संकट के दौरान भी AMU ने जिस तरह समाज की मदद की, वो अभूतपूर्व है। हजारों लोगों का मुफ्त टेस्ट करवाना, आइसोलेशन वार्ड बनाना, प्लाज्मा बैंक बनाना और पीएम केयर फंड में एक बड़ी राशि का योगदान देना, समाज के प्रति आपके दायित्वों को पूरा करने की गंभीरता को दिखाता है। अभी कुछ दिन पहले ही मुझे चांसलर डॉ. सैयदना साहब की चिट्ठी भी मिली है। उन्होंने vaccination drive में भी हर स्तर पर सहयोग देने की बात कही है। देश को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे ही संगठित प्रयासों से आज भारत कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सफलता से मुकाबला कर रहा है।
मुझे बहुत सारे लोग बोलते हैं कि AMU Campus अपने-आप में एक शहर की तरह है। अनेको डिपार्टमेंट्स, दर्जनों होस्टल्स, हजारों टीचर, प्रोफेसर्स, लाखों स्टूडेंट्स के बीच एक Mini India भी नजर आता है। AMU में भी एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो हिन्दी भी, अरबी पढ़ाई जाती है तो यहां संस्कृत की शिक्षा का भी एक सदी पुराना संस्थान है। यहां की लायब्रेरी में कुरान की manuscript है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी उतने ही सहेज कर रखे गए हैं। ये विविधता AMU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की ही नहीं, देश की भी ताकत है। हमें इस शक्ति को न भूलना है न ही न ही इसे कमजोर पड़ने देना है। AMU के कैंपस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना दिनों-दिन मजबूत होती रहे, हमें मिलकर इसके लिए काम करना है।
बीते 100 वर्षों में AMU ने दुनिया के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त करने का भी काम किया है। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा पर यहाँ जो रिसर्च होती है, इस्लामिक साहित्य पर जो रिसर्च होती है, वो समूचे इस्लामिक वर्ल्ड के साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देती है। मुझे बताया गया है कि अभी लगभग एक हजार विदेशी स्टूडेंट्स यहाँ पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में AMU की ये भी जिम्मेदारी है कि हमारे देश में जो अच्छा है, जो बेहतरीन है, जो देश की ताकत है, वो देखकर, वो सीखकर, उसकी यादें ले करके ये छात्र अपने प्रदेशों में जाएं। क्योंकि AMU में जो भी बातें वो सुनेंगे, देखेंगे, उसके आधार पर वो राष्ट्र के तौर पर भारत की Identity से जोड़ेंगे। इसलिए आपके संस्थान पर एक तरह से दोहरी जिम्मेदारी है।
