बिहार हर पल एक नई इबारत लिख रहा है। जहां एक तरफ शिक्षा को लेकर पैसे खर्च करने की होड़ मची है। वहीं बिहार शिक्षा को लेकर काफी संवेदनशील है।बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति का रोडमैप नीतीश सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा है। बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में गुणात्मक बदलाव एवं सुधार की व्यवस्था के लिए काम किया जा रहा है। आने वाली पीढ़ी को बेरोजगारी का दंश झेलना नहीं पड़े इसके लिए सरकार 50 फीसदी विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा के प्रति लगातार कदम बढ़ा रही है। विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा से प्रशिक्षित कर स्कूल, कॉलेज से पास होने के उपरांत सभी स्टूडेंट्स वोकेशनल्स स्किल्ड होंगे। आम जीवन मे रोटी, कपड़ा और मकान को प्राथमिकता देने के साथ ही नीतीश सरकार शिक्षा को
सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि उसको शहरों के साथ-साथ सुदूर ग्रामीण इलाकों के बच्चों तक भी रोजगारपरक शिक्षा की पहुंच बनाने के काम मे जुट गई है। बिहार के स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हों, इसके लिए 1.20 लाख शिक्षकों की और बहाली सुनिश्चित की जाएगी। वैसे नए साल के पहले माह में 94 हजार शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित होगी। मौजूदा समय में प्रदेश के 72 हजार प्रारंभिक में 3 लाख 34 हजार शिक्षक कार्यरत हैं।
नीतीश कुमार शिक्षा के प्रति इतने संवेदनशील हैं कि इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार के सभी पंचायतों में इस साल 2348 माध्यमिक विद्यालयों में 12वीं तक की पढ़ाई की शुरुआत करने की सरकार ने तैयारी की है, इससे अब शिक्षा ग्रहण के लिए किसी स्टूडेंट्स को कहीं बाहर जाने की जरूरत नही होगी। वर्तमान में सूबे में 5820 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई हो रही है। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वर्ग 6 से विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ी जाएगी ताकि आगे के भविष्य के लिए किसी को भटकना नहीं पड़े। इस पर शिक्षा विभाग काम कर रहा है साथ ही इसके लिए अलग पाठ्यक्रम तय करके स्टूडेंट्स के माइंड सेट के अनुसार कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावे खेल, शारिरिक शिक्षा पर भी सरकार सेंट्रलाइज होकर शिक्षा के स्वरूप को व्यापक रूप देने में लगी हुई है।
शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ करने के लिए नीतीश सरकार की शिक्षा विभाग नित्य नए प्रयोग करके इन्वेंशन को हुनर एवं ज्ञान के बूते विकसित प्रदेश बनाने के लिए रोडमैप को अंतिम रूप से तैयार किया जा रहा है। रोडमैप में यह कोशिश की गई है कि जब भी कोई स्टुडेंट्स पढ़ाई करके निकले तो सभी के पास एक वोकेशनल स्किल जरूर हो। बिहार के प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के संचालन के लिए नई कार्य योजना को लेकर शिक्षा मंत्री डॉ.अशोक चौधरी द्वारा समीक्षा बैठक में नये सिरे से कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया गया था, जो आने वाले समय में नई शिक्षा नीति के मानकों पर भी खरा उतरेगा।बिहार के 2 करोड़ 36 लाख स्टूडेंट्स के लिए प्रायोगिक शिक्षा पर पर छठी क्लास से ही प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग करायी जाएगी। इसके लिए राज्य शिक्षा, शोध एवं प्रशिक्षण परिषद तथा एनसीईआरटी के सहयोग से सिलेबस और पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। इस बार शिक्षक के मूल्यांकन के अलावे स्टूडेंट्स के लिए भी एक कॉलम दिया रहेगा उसमे अपना मूल्यांकन तो करेगा ही इसके साथ ही उसके एक सहपाठी भी मूल्यांकन करेंगे और इसके लिए नए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार की इस पहल से बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जगी है। इस रोड मैप से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के सकारात्मक परिणाम बहुत जल्दी देखने को मिलेगा। बिहार में शिक्षा को लेकर कई तरह के बयानबाजी होते रहते हैं मगर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिहार की प्रतिभा की पूरी दुनिया मुरीद है। सिविल सेवा से लेकर वनडे परीक्षाओं में बिहार के स्टूडेंट अपनी अमित छाप छोड़ते हैं।